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जाटोली के ऐतिहासिक धरोहर की गुहार: एम एल ए वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय को सरकार के संरक्षण में देने की मांग

जाटोली मंडी पंचायत की मांग: एम एल ए वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय को सरकार को सौंपा जाए

पटौदी विधानसभा क्षेत्र के ऐतिहासिक गांव जाटोली में स्थित सैकड़ों वर्षों पुराने एम एल ए वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, जो महान संत प्रेमानंद जी महाराज द्वारा स्थापित किया गया था, को लेकर एक महत्त्वपूर्ण पंचायत का आयोजन किया गया। यह विद्यालय विशेष महत्व रखता है क्योंकि इसे ग्रामीणों द्वारा शिक्षा के उद्देश्य से संत प्रेमानंद जी को जमीन दान में दी गई थी। यह ऐतिहासिक संस्था स्थानीय लोगों के लिए केवल एक विद्यालय नहीं, बल्कि एक भावनात्मक धरोहर है, जिससे हजारों की संख्या में लोग जुड़े हुए हैं। इस विद्यालय से पढ़कर कई विद्यार्थी बड़े अधिकारी बने हैं और दुनिया के कोने-कोने में अपने गांव और विद्यालय का नाम रोशन कर रहे हैं।

पृथ्वीराज चौहान भवन, खंडेवला मोड़, जाटोली में पूर्व नगरपालिका प्रधान श्री जगदीश सिंह की अध्यक्षता में हुई इस पंचायत में विद्यालय के अचानक बंद होने पर गहरी चिंता जताई गई। मार्च सत्र से ही विद्यालय के प्रबंधन ने इसे बंद कर दिया और बचे हुए विद्यार्थियों को यह कहकर स्कूल से हटा दिया कि अब उनका यहां प्रवेश संभव नहीं है, क्योंकि छात्र संख्या अत्यंत कम रह गई है। इस फैसले ने ग्रामीणों में गहरा आक्रोश उत्पन्न किया है। पंचायत में यह सवाल उठाया गया कि प्रबंधन समिति ने ऐसा कठोर निर्णय क्यों लिया और विद्यालय पर ताला क्यों लगाया गया।

जाटोली वासियों ने इस विषय को कई बार उपायुक्त और एसडीएम के समक्ष उठाया और पंचायतों के माध्यम से इसे उजागर करने का प्रयास किया। इस बार पंचायत ने स्पष्ट और कड़े शब्दों में कहा कि कुछ लोग विद्यालय की संपत्ति को हड़पने की कोशिश कर रहे हैं, जिसे ग्रामवासी किसी भी स्थिति में सफल नहीं होने देंगे। पंचायत ने सरकार और स्थानीय विधायक से आग्रह किया कि इस ऐतिहासिक विद्यालय को संरक्षित किया जाए ताकि इसकी अद्वितीय वास्तुकला, ऐतिहासिक महत्व और हजारों लोगों की भावनाओं से जुड़ी इस धरोहर का संरक्षण हो सके।

इस अवसर पर कप्तान जनक चौहान, सतपाल चौहान, राज सिंह, रवि चौहान, महर चंद शास्त्री, हरीश चौहान, जय भगवान स्वामी, सतबीर पवार, अमित पहलवान और सैकड़ों ग्रामवासी उपस्थित थे। सभी ने एक स्वर में मांग की कि विद्यालय की स्वायत्तता बचाई जाए और इसे सरकार के संरक्षण में दिया जाए ताकि इसकी शैक्षणिक गतिविधियां पुनः प्रारंभ हो सकें और इसके गौरवशाली इतिहास को बनाए रखा जा सके।

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