केआर मंगलम विश्वविद्यालय में ‘नो अवर बॉर्डर्स’ कार्यक्रम आयोजित, सीमाओं के प्रति युवाओं को किया गया जागरूक
गुरुग्राम: सीमा जागरण मंच गुरुग्राम विभाग, उन्नत भारत अभियान क्लब तथा केआर मंगलम विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आज विश्वविद्यालय परिसर में "नो अवर बॉर्डर्स" (Know Our Borders) विषय पर एक प्रेरणादायी जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले में शहीद हुए वीर जवानों को दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए की गई।
कार्यक्रम का शुभारंभ सीमा जागरण मंच गुरुग्राम विभाग के संयोजक श्री विजय प्रजापति द्वारा देशभक्ति गीत की प्रस्तुति से हुआ, जिसने वातावरण को देशप्रेम से ओतप्रोत कर दिया। इसके पश्चात दीप प्रज्ज्वलन सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल विष्णुकांत चतुर्वेदी (पीवीएसएम, एवीएसएम, एसएम), दिल्ली विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर एवं सीमा जागरण मंच दिल्ली प्रांत युवा प्रमुख डॉ. श्याम नारायण पांडे, केआर मंगलम विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. मेराज उद्दीन मीर और अन्य विशिष्ट अतिथियों द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।
श्री विजय प्रजापति ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए उन्हें अंगवस्त्र और तुलसी का पौधा भेंट कर सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रमों का उद्देश्य युवाओं को भारत की सीमाओं के प्रति संवेदनशील बनाना है, ताकि वे केवल शहरी जीवन तक सीमित न रहकर सीमांत क्षेत्रों की भी सच्चाई को जान सकें।
मुख्य अतिथि जनरल विष्णुकांत चतुर्वेदी ने कहा, “भारत की सीमाएं केवल भौगोलिक रेखाएं नहीं, बल्कि हमारी राष्ट्रीय अस्मिता का प्रतीक हैं। सीमांत क्षेत्रों में कार्य करना और वहाँ की संस्कृति, कठिनाइयों व आवश्यकताओं को समझना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है।” उन्होंने लद्दाख, जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्व भारत की विशेषताओं, वहाँ के प्राकृतिक संसाधनों, उत्कृष्ट फलों और पर्यटन स्थलों की जानकारी साझा करते हुए युवाओं से आग्रह किया कि वे इन क्षेत्रों में जाकर स्वयं देखें कि वहाँ के निवासी किन परिस्थितियों में जीवन यापन करते हैं और हमारी सुरक्षा में किस तरह लगे हुए हैं।
उन्होंने कहा कि रेजांगला की ऐतिहासिक लड़ाई में हरियाणा के 113 जवानों ने मेजर शैतान सिंह के नेतृत्व में वीरगति प्राप्त की, जो इस राज्य की वीरता का प्रमाण है। उन्होंने बताया कि 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान वे स्वयं सेना में थे और उन्होंने विभिन्न स्तरों पर नेतृत्व किया।
डॉ. श्याम नारायण पांडे ने कहा, “हमारे सैनिक चाहे -50 डिग्री तापमान हो या बर्फबारी, हर परिस्थिति में हमारी सीमाओं पर अडिग रहते हैं। हमें उनका सम्मान करना चाहिए और एक जागरूक नागरिक बनकर देशहित में कार्य करते रहना चाहिए।” उन्होंने यह भी घोषणा की कि “दिल्ली-एनसीआर के 100 विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में इस प्रकार के जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएंगे, जिससे युवाओं में राष्ट्रीय चेतना और सीमाओं के प्रति जिम्मेदारी की भावना जागृत हो।”
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो. (डॉ.) मेराज उद्दीन मीर ने सभी अतिथियों का विश्वविद्यालय में स्वागत करते हुए कहा कि “देश की सीमाओं को जानना, उनकी परिस्थितियों को समझना और सैनिकों के योगदान को पहचानना हर युवा का दायित्व है। विश्वविद्यालय ऐसे कार्यक्रमों का निरंतर समर्थन करता रहेगा।”
कार्यक्रम का संचालन कु. कृतिका द्वारा किया गया, जिनकी प्रभावशाली वाणी ने सभी को जोड़े रखा। कार्यक्रम में डॉ. शिवानी और डॉ. मुकुल जैन ने छात्रों के बीच प्रश्नोत्तरी सत्र आयोजित किया, जिसमें भाग लेने वाले प्रतिभागियों को पुरस्कार भी प्रदान किए गए।
अंत में केआर मंगलम विश्वविद्यालय के डॉ. चंद्र मोहन ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया और राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन किया।
इस अवसर पर डीन डॉ. जे.एस. यादव, डीन स्टूडेंट वेलफेयर श्रीमती कल्पना, सीमा जागरण मंच से कर्नल प्रदीप भल्ला, श्री कमलेश नाटाणी, श्री संजय सिंह, श्री दीपक वाल्मीकि सहित बड़ी संख्या में विश्वविद्यालय के विद्यार्थी एवं स्टाफ सदस्य उपस्थित रहे।
बहुत सुंदर आयोजन हुआ
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