BABA JYOTIGIRI MAHARAJ | उज्जैन में हरियाणा सेवा आश्रम का नया अध्याय | भव्य भक्त निवास का भूमि पूजन | प्रबुद्ध लोगो हुए शामिल

हरियाणा सेवा आश्रम में भक्त निवास का भूमि पूजन सम्पन्न:
गुरु परंपरा, सनातन संस्कृति और संतों की शिक्षा का संदेश

भारत जागरण | उज्जैन | 14 अप्रैल 2025
नृसिंह घाट, उज्जैन स्थित हरियाणा सेवा आश्रम में 14 अप्रैल को आध्यात्मिक वातावरण के बीच भक्त निवास के निर्माण हेतु भूमि पूजन का आयोजन किया गया। यह आयोजन श्री श्री 1008 श्री महामंडलेश्वर स्वामी ज्योतिगिरी महाराज और महंत कृष्ण गिरी महाराज की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम में राज्यसभा सांसद श्री बालयोगी उमेशनाथ महाराज, महंत महावीरनाथ, महंत रामगिरी (जूनागढ़), नगर निगम अध्यक्ष श्रीमती कलावती यादव, नगर उपाध्यक्ष श्री जयदीप पांचाल, मेयर श्री मुकेश चटवाल, पूर्व मेयर श्री बबलू पाटिल (मनमाड़, नासिक) सहित अनेक गणमान्य संत एवं भक्तजन उपस्थित रहे।

भूमि पूजन के पावन अवसर पर स्वामी ज्योतिगिरी महाराज ने भारत जागरण से बातचीत के दौरान कहा:  जिस भूमि पर गुरुकृपा की नींव पड़ती है, वहां केवल ईंट-गारे से नहीं, बल्कि संस्कृति और श्रद्धा से भवन निर्मित होते हैं।
स्वामी जी ने आगे कहा कि यह भक्त निवास केवल रुकने का स्थान नहीं होगा, यह एक "संस्कार केंद्र" होगा – जहां आने वाले भक्तों को सनातन परंपरा, सेवा और साधना का अनुभव प्राप्त होगा।
बच्चों को आधुनिक और आध्यात्मिक शिक्षा दोनों आवश्यक
स्वामी ज्योतिगिरी महाराज ने यह भी बताया कि वे अपने आश्रम में रहने वाले बच्चों को न केवल स्कूल की औपचारिक शिक्षा दे रहे हैं, बल्कि उन्हें गीता, वेद, उपनिषद, योग और ध्यान जैसे विषयों से भी जोड़ रहे हैं।
"न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते।"
(भगवद्गीता 4.38)
"इस संसार में ज्ञान से बढ़कर कोई पवित्र वस्तु नहीं।"
स्वामी जी मानते हैं कि यदि एक बालक को जीवन के प्रारंभ में ही धर्म, नीति और आत्मानुशासन की शिक्षा दी जाए, तो वह न केवल एक अच्छा विद्यार्थी, बल्कि एक आदर्श नागरिक और संस्कारी मानव बन सकता है।
उन्होंने कहा:
"कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।"
"कर्म करना हमारा अधिकार है, फल की चिंता किए बिना निरंतर प्रयास ही सनातन मार्ग है।"
सनातन संस्कृति का जागरण
महामंडलेश्वर जी ने हरियाणा सेवा आश्रम को एक ऐसा केंद्र बताया है जो न केवल भक्तों की सेवा करेगा, बल्कि सनातन संस्कृति के प्रचार-प्रसार और युवा पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने का कार्य भी करेगा।
भारत जागरण इस पुनीत प्रयास को "गुरुकृपा का प्रसाद" मानता है और आशा करता है कि ऐसे केंद्र राष्ट्र निर्माण में प्रकाशपुंज बनेंगे।

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