21 जून 2020 को लगेगा अग्नि-वलयाकार सूर्यग्रहण देखे पूरी रिपोर्ट
21 जून 2020 को लगेगा अग्नि-वलयाकार सूर्यग्रहण
“इसे सीधे देखने से आँखों और दृष्टि को हो सकता है गंभीर नुकसान, सूर्य को देखने के लिए बनाए गए हैं विशेष चश्मे, सुरक्षित दृश्यावलोकन के लिए ये चश्मे सूर्य के प्रकाश को करते हैं फिल्टर”
टीवी वेंकटेश्वरन के द्वारा
एक दुर्लभ खगोलीय घटना के रुप में रविवार को वलयाकार सूर्य ग्रहण, जिसे लोकप्रिय रूप से रिंग ऑफ फायर भी कहा जाता है, लगने जा रहा है। इस वर्ष का यह पहला सूर्य ग्रहण है जो ग्रीष्म संक्रांति पर लग रहा है, और यह उत्तरी गोलार्ध में सबसे लंबा दिन भी है। अनूपगढ़, सूरतगढ़, सिरसा, जाखल, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, देहरादून, तपोवन और जोशीमठ से गुजरने वाले मार्ग पर रहने वाले लोग इस वलयाकार ग्रहण को देख पाएंगे, शेष भारत में लोग आंशिक ग्रहण देख सकते हैं।
इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स, पुणे के समीर धुरडे के मुताबिक वलयाकार सूर्य ग्रहण पूर्ण सूर्य ग्रहण का एक विशेष मामला है। पूर्ण सूर्य ग्रहण में चंद्रमा और सूर्य एक सीधी रेखा में आ जाते है। हालांकि, इस दिन, चंद्रमा का स्पष्ट आकार सूर्य से छोटा होता है। इसलिए चंद्रमा, सूर्य के मध्य भाग को ढकता है, और सूर्य का वलय एक बहुत ही संक्षिप्त क्षण के लिए आकाश में 'रिंग ऑफ फायर' की तरह दिखाई देता है।
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ग्रहण के समय पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी ग्रहण के प्रकार को निर्धारित कर सकती है। चंद्रमा के अंडे के आकार की अण्डाकार कक्षा के कारण पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी हमेशा बदलती रहती है। इसका अर्थ यह है कि एक ऐसा समय जहां यह पृथ्वी के सर्वाधिक करीब होता है तो आकाश में थोड़ा बड़ा दिखाई देता है और कई बार जब यह दूर होता है तो आकाश में कुछ छोटा दिखाई देता है। संयोग से, 21 जून, 2020 को होने वाले ग्रहण के दौरान, चंद्रमा का स्पष्ट आकार सूर्य की तुलना में 1 प्रतिशत छोटा है।
सूर्य ग्रहण की शुरुआत में, सूर्य का एक कटे हुए सेब की तरह से विशिष्ट दृश्यावलोकन होता है। इसमें सूर्य का एक छोटा सा हिस्सा चंद्रमा की छाया से ढका हुआ होता है। इसके बाद, चंद्रमा की छाया धीरे-धीरे और लगातार सूर्य के और बड़े हिस्से को ढकती जाती है। एक निश्चित समय पर, जिस वक्त चन्द्रमा की छाया पृथ्वी पर वलयाकार सूर्य ग्रहण के दौरान पड़ती है, लोग चन्द्रमा की छाया को सूर्य पर पड़ते हुए और मध्य भाग को ढकते हुए देख सकते हैं। चूँकि चंद्रमा पूरे सूर्य को ढकने में सक्षम नहीं है, इसलिए चंद्रमा के चारों ओर सूर्य के प्रकाश का एक चमकीला वलय दिखाई देगा। इसीलिए, इस प्रकार के ग्रहण को उपनाम के तौर पर "रिंग ऑफ फायर" का नाम दिया गया है।
पब्लिक आउटरीच एंड एजुकेशन कमेटी ऑफ दी एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष अनिकेत सुले के मुताबिक अगर हम इस अवसर को गवां देते हैं, तो भारत में हमें अगले सूर्य ग्रहण के लिए लगभग 28 महीने तक इंतजार करना होगा। भारत में दिखाई देने वाला अगला आंशिक सूर्य ग्रहण 25 अक्टूबर, 2022 को होगा। यह भारत के पश्चिमी भाग में दिखाई देगा।
सूर्य एक बहुत चमकदार पिंड है और इसे सीधे देखने से आंखों और दृष्टि को गंभीर नुकसान हो सकता है। सूर्य को देखने के लिए विशेष चश्मे बनाए गए हैं। सूर्य को सुरक्षित रूप से देखने के लिए ये चश्में सूर्य की रोशनी को फिल्टर करते हैं। नेहरू तारामंडल, मुंबई निदेशक अरविंद परांजपे के मुताबिक "अक्सर पब्लिक आउटरीच एंड एजुकेशन कमेटी ऑफ दी एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी ऑफ इंडिया और अन्य खगोलीय संस्थान/तारामंडल और अन्य लोकप्रिय विज्ञान एजेंसियां आमतौर पर ग्रहण को सुरक्षित तरीके से देखने की व्यवस्था करते हैं। हालांकि, इस बार लॉकडाउन के कारण, हम सौर फिल्टर नहीं बना सके हैं। इसलिए, हमारी लोगों से यह गुजारिश हैं कि महामारी की स्थिति को देखते हुए वह ग्रहण को देखने के लिए बड़ी संख्या में इकट्ठा न हों। अपने घर से ही सुरक्षापूर्वक ग्रहण को देखने के लिए आसान सुझाव हैं।
यह ग्रहण कोरोनोवायरस के अंत को सुनिश्चित करेगा ऐसी अफवाहों पर अनिकेत सुले ने कहा कि चंद्रमा के थोड़े समय के सूर्य के सामने आने पर सूर्य ग्रहण होता है। जैसा कि पृथ्वी से देखा जाता है कि ग्रहण पृथ्वी पर वर्ष में 2 से 5 बार होता है। ग्रहण पृथ्वी के सूक्ष्मजीवों को प्रभावित नहीं करते हैं। इसी तरह से, ग्रहण के दौरान बाहर निकलने या खाने में कोई खतरा नहीं है। एक ग्रहण के दौरान सूर्य से किसी भी तरह की रहस्यमयी किरणें नहीं निकलती हैं।
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